Shri Yadunath Ji (श्री यदुनाथजी)
श्री यदुनाथजी
श्रीयदुपति जीवन जगतनां, सदामन प्रसन्न हुलास रे रसना।
नाथते श्रीमहाराणीजी तणा, मुख माधुरी विलास रे रसना॥
श्रीगुसांईजी के षष्ठम्लालजी (सुपुत्र) श्री यदुनाथजी का प्राकट्य विक्रम संवत् १६१५ में चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी के शुभदिन हुआ। श्रीगुसांईजी आपश्री को ”महाराजा” नाम से सम्बोधित करते थे।
श्री यदुनाथजी के बहुजी श्रीमहाराणी बहुजी हुए। आपके पाँच लालजी एवं एक बेटीजी हुए।
श्रीयदुनाथजी ने ‘वल्लभदिग्विजय’ नामक ग्रन्थ की रचना की।